फूड प्वाइजनिंग के बारे में हर जानकारी यहां मिलेगी
सेहतराग टीम
परिचय
फूड प्वाइजनिंग यानी खाद्य विषाक्तता रोगग्रस्तता की एक स्थिति है, जो कि रोगकारक बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी, विषाक्त पदार्थों या रसायनों से दूषित हो चुके भोजन या पेयजल के सेवन के कारण होता है। इस परेशानी में अधिकांश लोग उपचार के बिना ही ठीक हो जाते हैं। अधिकांश मामलों में रोग का कारण भोजन ही होता है जो कि या तो बैक्टीरिया (साल्मो नेला या एशेरिशिया कोलाई आदि) अथवा वायरस (जैसे कि नोरोवायरस) से दूषित होता है। आहार का दूषित होना किसी भी स्तर पर हो सकता है। ये खेत से लेकर हमारी थाली तक कहीं भी दूषित हो सकता है। इसमें आहार का प्रसंस्करण और आहार उत्पाद का निर्यात शामिल है। अनुचित ढंग से बना आहार भी दूषित होने का कारण हो सकता है तथा इसके अन्य कारण भी हो सकते है। जब रोग के वाहक एक स्तर से दूसरे स्तर यानी कच्चे खाने से तैयार खाने तक स्थानांतरित हो जाते हैं और खाने से ठीक पहले अगर इन्हें पकाया नहीं जाता है, तब रोग के वाहक नष्ट नहीं हो पाते और खाना विषाक्त हो जाता है। इन्हें खाने से संबंधित व्यक्ति बीमार हो जाता है। इस प्रकार की खाद्य विषाक्तता खाद्य उत्पादन से उपभोग तक की प्रक्रिया के किसी भी स्तर पर हो सकती है।
लक्षण
फूड प्वाइजनिंग के लक्षण संदूषित आहार के सेवन के बाद कुछ घंटों एवं कई सप्ताहों के बीच किसी भी क्षण शुरू हो सकते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल है:
अस्वस्थ्य महसूस होना।
उल्टी।
डायरिया/अतिसार/दस्त।
पेट में ऐंठन।
फूड प्वाइजनिंग के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
पेट में दर्द।
भूख में कमी।
100.4 फॉरेनहाइट या उससे अधिक बुखार
मांसपेशियों में दर्द।
ठंड लगना।
कारण
फूड प्वाइजनिंग आमतौर पर अनुचित ढंग से निर्मित आहार, खाने के भंडारण एवं तैयारी से उत्पन्न संदूषित पानी या आहार के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले रासायनिक पदार्थों या बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी के कारण होता है।
क्रॉस कॉन्टामिनेशन (जीवाणुओं का एक जगह से दूसरे जगह पर फैलना): फूड प्वाइजनिंग का एक आम कारण क्रॉस कॉन्टामिनेशन है। ऐसा तब होता है, जब हानिकारक बैक्टीरिया आहार, सतह और उपकरण के बीच फैल जाते हैं।
सबसे सामान्य जीव, जो कि खाद्य विषाक्तता का कारण है:
बैक्टीरिया।
कम्पीलोबैक्टर जेजुनी।
क्लोस्ट्रीडियम पर्फ्रिजेंस।
साल्मोनेला एसपीपी- एस. टायिफिमूरियम संक्रमण ।
एशेरिशिया कोलाई (ई. कोलाई)।
वायरस (नोरोवायरस)।
परजीवी (टोक्सोप्लाज्मोसिस)।
मशरूम और खुम्बी (छत्रक): मशरूम की दर्जनों प्रजातियां मस्सेरिन विषाक्तता का कारण हो सकती है। ये विषाक्तता केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है, जिसके कारण गंभीर मामलों में आंशिक या पूर्ण पक्षाघात हो जाता है।
मछली: कुछ मछलियां जैसे कि पुफफफिश, स्वाभाविक रूप से जहरीली होती हैं। स्वाभाविक रूप से पुफफफिश में पाए जाने वाली विषाक्तता कई खाद्य कैरेबियन और प्रशांत प्रजातियों में भी पायी जाती हैं। इसे सिगुएटेरा विषाक्तता कहा जाता है और इसे एक छोटे समुद्री परजीवी द्वारा निर्मित किया जाता है जिसे डायनेफ्लैजलेट कहा जाता है। यह विषाक्तता तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है।
कीटनाशक: कीटनाशकों में कई प्रकार के जहर पाए जाते हैं, लेकिन सबसे खतरनाक प्रकार ऑर्गोफॉस्फेट हैं, जो कि मूल रूप से कीड़े के लिए तंत्रिका गैस हैं। इन कीटनाशकों को सावधानीपूर्वक ऐसे बनाया जाता है, कि ये कीटनाशक कीड़ों की तुलना में मनुष्यों के लिए कम हानिकारक हो, लेकिन यदि इन कीटनाशकों का उपयोग ठीक से नहीं किया जाता है, तो ये रसायन लोगों के लिए अत्यधिक घातक हो सकते है।
अन्य कारण: खाद्य विषाक्तता के कई अन्य कारण हैं। इनमें जंगली मेवा, पत्तियां, फूल, छोटे जंगली कंदमूल, अपरिपक्व कंद, बोटुलिज़्म, कंटेनर से कैडमियम, उर्वरकों से सीसा या आर्सेनिक, मिट्टी के बर्तनों से सीसा और एसिड शामिल हैं।
प्रबंधन
खाद्य विषाक्तता के अधिकांश मामलों में लक्षणों को बिना चिकित्सक के देखे, घर पर उपचारित किया जा सकता है।
ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट: यदि डायरिया/अतिसार/दस्त है, तो ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) शरीर में तरल की कमी को पूरा करने के लिए दिया जाना चाहिए तथा यह निर्जलीकरण (पानी की कमी) को भी रोकता है।
अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें: यह निर्जलीकरण (पानी की कमी) को रोकता है।
यदि रोग की स्थिति बनी रहती है, तो चिकित्सक के पास जाएं।
रोकथाम
· खाद्य विषाक्तता रोकने के लिए घर पर क्या करें और क्या न करें:
· खाना खाने या तैयार करने से पहले हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं।
· बर्तन और कटिंग बोर्ड को साबुन युक्त गर्म पानी और रोगाणु मुक्त करने वाले द्रव्य से धोया जाना चाहिए।
· फल एवं सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।
· क्रॉस कॉन्टामिनेशन (जीवाणुओं का एक जगह से दूसरे जगह पर फैलना) से बचने के लिए कच्चे खाद्य पदार्थ (कच्चा मांस, मुर्गा, शेल मछली) और खाने वाले खाद्य पदार्थ को अन्य खाद्य पदार्थों से अलग रखें।
· खाने को पूरी तरह से गर्म करें।
· खाने के हर कण को 75 डिग्री के तापमान पर अच्छी तरह से गर्म किया जाना चाहिए।
· मछली और मांस को 145 से 165 डिग्री एफ पर पकाएं। यदि इसकी गुणवत्ता या सुरक्षा में अनिश्चितता है, तो आहार का उपयोग नहीं जाना चाहिए।
यदि कोई फूड प्वाइजनिंग से पीड़ित है, तो:
· ठोस/भारी खाद्य पदार्थ खाने से बचें।
· फ़ीका एवं पचने में आसान आहार का सेवन करें।
· अल्कोहल, कैफीन या शक्कर युक्त पेय पदर्थों से बचें।
· डायरिया/अतिसार/उलटी से होने वाली पानी की कमी को पानी पीने या ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी से पूरा किया जाना चाहिए।
· चिकित्सक से सलाह लेने से पहले एंटीबायोटिक दवाओं या डायरिया/अतिसार/दस्त रोधी दवाओं का सेवन न करें।
· कुछ विशेष प्रकार की खाद्य विषाक्तता (जैसे लिस्टरियोसिस) का उपचार इंट्रावेनस एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।
· डायरिया/अतिसार/दस्त और उल्टी बने रहने पर चिकित्सक से परामर्श करें।
(नेशनल हेल्थ पोर्टल से साभार)
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